
गाज़ीपुर जिले से है जहां पर अनुष्का आंख अस्पताल को बदनाम करने का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसे सुनकर मानवता शर्मसार हो जाएगी और कोई चाह कर भी निस्वार्थ भाव से किसी की मदद करने के लिए सौ बार सोचेगा
*_चलिए जानती हैं क्या है पूरा मामला_*
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शादियाबाद के अनुष्का आंख अस्पताल में 2 वर्ष पूर्व एक महिला का ऑपरेशन हुआ था ऑपरेशन के दौरान महिला की आंखों से पूरी तरह दिखाई दे रहा था उसके बाद डॉक्टर ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया ,फिर डॉक्टर ने यह भी कहा कि आप समय-समय पर अस्पताल आकर दवा ले और अपनी आंखों को चेकअप करा ले मगर महिला ने किसी अन्य अस्पताल में जाकर अपनी आंखों की दवा ली और चेक कराया और अनुष्का आंख अस्पताल में ना आकर किसी अन्य अस्पताल से इलाज प्रारंभ कर दिया, उसके बाद जब आंखों की रोशनी जाने लगी तो फिर अनुष्का आँख हॉस्पिटल आई और डॉक्टर साहब को दिखाया तब तक महिला की आंखों की रोशनी जा चुकी थी फिर भी अनुष्का आंख अस्पताल के डॉक्टर साहब ने मानवता दिखाते हुए महिला का इलाज प्रारंभ कर दिया और उन्हें अपने व्यक्तिगत खर्चे पर बनारस अच्छे हॉस्पिटल में चेकअप के लिए रेफर कर दिया कि किसी तरह महिला की आंखों में सुधार हो सके ,मगर आंखें की रोशनी पूरी तरह जा चुकी थी फिर महिला अपनी गलती को मानते हुए संतुष्ट होकर अपने घर चली गयी, अनुष्का आंख अस्पताल से फिर उसके बाद अब कुछ दिन पहले यह भ्रामकता फैलाई गई की महिला की आंख खराब हुई वह तो दो वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी फिर उस घटना का आज चरितार्थ क्या था ?, कहीं ना कहीं हॉस्पिटल को बदनाम करना और हॉस्पिटल की छवि को धूमिल करना महिला का मुख्य उद्देश्य था, मामले की गंभीरता देखते हुए पत्रकार का कर्तव्य बनता है अगर मामला संदिग्ध लगे तो उसकी जमीनी स्तर पर जांच करें और सही खबर को फिर से प्रकाशित करें इसी क्रम में अनुष्का आंख अस्पताल पर लगाया गया आरोप निराधार साबित हुआ है, महिला ने अनुष्का आंख अस्पताल में ऑपरेशन तो करवाया लेकिन नियमित जांच और दवा समय पर न लेने से और अन्य अस्पताल में इलाज करने के बाद आंख की समस्या से ग्रसित हो गई, इसी वजह से महिला द्वारा अनुष्का आंख अस्पताल पर लगाया गया आरोप गलत साबित होता है।