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महज ₹10000 की नौकरी करने वाला व्यक्ति आखिर कैसे कुछ सालों में बना करोड़पति क्या लग गई लॉटरी।

 

गाजीपुर जनपद के जखनिया क्षेत्र अंतर्गत हंसराजपुर बाजार में होने लगी चर्चा की आखिर कैसे कोई ₹10000 की नौकरी करने वाला व्यक्ति इतनी जल्दी कैसे बन गया करोड़पति, इतनी चर्चा में आया और क्या रहा कारण आखिर कैसे हुई इतनी संपत्ति की कई शहरों में जमीन और कई जगह मकान आधा दर्जन लग्जरी गाड़ियां और गांव में आलीशान बंगला आखिर कैसे और कहां से लगी लाटरी या फिर। दो नंबर के कारोबार पर जमा दिया इन्होंने अपना सिक्का जैसे अफीम बेचना या हीरोइन की तस्करी करने वाला ही इतनी जल्दी बन सकता है झटके से करोड़पति क्या ऐसे ही तो नहीं बना इसका साम्राज्य अब तो इसकी चर्चा गांव से बाजारों तक, बाजारों से चर्चा चट्टी चौराहे पर और चाय के साथ चर्चा होती नजर आती है यही तक नही साहब की चर्चा तो थाने चौकी पर भी हो रही की आखिर कोई सिंपल आदमी इतनी जल्दी करोड़पति हो जाता है आखिर इतना धन आया तो आया कहा से।
ऐसे ही है हमारे करोड़पति साहब

जब एक मैट्रिक पास व्यक्ति ने रख दिया सीए जिससे सीए का फुल फॉर्म तक नही, होता है पता और शुद्ध सीए का पूरा मतलब हिंदी में लिख भी नही पा सकता उस व्यक्ति ने भी परमानेंट रख रखा है सीए और देने लगा सलाना लाखों रुपए की सैलरी जो खुद महज कुछ दिन पहले ₹10000 का कर रहा था नौकरी ऐसे ही है हमारे करोड़पति जी

और वही उन महोदय की एक और बड़ी खासियत है अगर किसी को ₹1000 की मदद करते हैं तो बताते हैं कि हमने तो फलनवा को ₹10000 से मदद किया अगर कोई व्यक्ति किसी कारण ही उनसे जरूरत पड़ गई या कोई बीमार है या कोई दिक्कत है उसे ₹10000 की जरूरत है अगर इनके पास जाता है यह स्वीकार कर लेते हैं और ₹10000 उसे दे देते तो पूरे गांव मैं डंके की चोट पर बोलते हैं कि मैंने उसको ₹1.00000 लाखों रु से मदद किया हद तो तब हो गई जब अपने ही सगे चाचा बीमार हो गए और इन्हों ने ₹70000 का बीमारी में मदद किया और यह मामला किसी कारण वस चौकी थाने पहुंचा तो उन्होंने बताया कि इनके पिताजी की बीमारी में मैंने ₹7.00000 लाख रु दे कर मदद किया था, जो कि खाते से ट्रांसफ मात्र 70000₹ ही हुवे थे ऐसे ही है हमारे गांव पर करोड़पति महाराज।

इन महोदय ने गांव में एक शिगुफा और छोड़ा दिया था की अपने गांव में जो बुजुर्ग है उनको वृद्धा पेंशन यह स्वयं अपने बजट से देंगे और गांव में जो बीमार होता है उनके इलाज का खर्च भी यही बहन करेंगे और जो विकलांग है उन्हे भी यह अपने ही फंड से पेंशन देंगे। आखिर कहा से आते है पैसे की इन्होंने अपने को गांव का मसीहा समझ रखा है करोड़पति साहब जी ने

इन्होंने हद तो तब पार कर दी जब बिना किसी पद पर रहते हुवे केवल गांव की सेवा करने का लोगों के मन में भाव जगा कर मेन रोड पर जैसे सांसद या विधायक द्वारा जो गेट बनाया जाता है वैसे ही बनाने का इन्होंने प्लान बना दिया की मेन रोड के गेट पर इनका भी सिलावट लगे जिससे इनकी चर्चा दूर दूर तक हो किसी तरह यह सब इन्होंने तैयारी कर ली मगर गांव वालों को पता चला तो लोगो ने सोचा ये तो गलत करने जा रहे है गांव वाले इसकी चर्चा खंड विकास अधिकारी के पास पहुंच कर किया तो किसी तरह इनका गेट वाला तो फैसला टला और कर्मचारियों ने सूचना दिया की ऐसा नहीं कर सकते आप यह केवल जनप्रतिनिधि को ही है अधिकार ऐसा करते हैं तो यह गलत है इससे हो जाएंगी दिक्कत आप को ऐसा नहीं कर सकते हैं आप इस प्रकार का शौक रखते है साहब

उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले दो पत्रकारों का ग़ाज़ीपुर में एक्सीडेंट हुआ था और इन्होंने अपने ही फंड से उन दोनों पत्रकार महोदय का पूरा इलाज कराया मऊ के किसी हॉस्पिटल जब पता किया गया तो किसी पत्रकार का एक्सीडेंट नहीं हुआ था और इन्होंने किन्हीं दो पत्रकारों का इलाज भी करा दिया उसमें इनका लाखों रु का खर्च हुआ मगर इनको यह नहीं पता कि किस का एक्सीडेंट हुआ और कहां इलाज हुआ इतने बड़े झूठे हमारे करोड़पति महाराज धन्य है उनकी लीला वह भी है अपरंमपार ऐसे ही हैं हमारे करोड़पति महाराज।

फिर मिलते है अगले चैप्टर में अगली कहानी के साथ

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